करवा चौथ  सुहागन महिलाओं का बड़ा पर्व  इस माह 27 अक्‍टूबर को मनाया जा रहा है। इस द‍िन शन‍िवार है। वहीं इसी द‍िन इसी दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी होने से ये पर्व और भी शुभ हो गया है। इस द‍िन विवाहित मह‍िलाओं के लिए 16 श्रृंगार को महत्‍वपूर्ण माना गया है। इसके बाद शाम को चांद की पूजा करने के बाद मह‍िलाएं पति के हाथ से जल ग्रहण करने के बाद ही व्रत पूर्ण करती हैं। लेकिन हर व्रत की तरह करवा चौथ के भी कुछ न‍ियम हैं। अगर इनका ध्‍यान न रखा जाए तो व्रत का पूरा फल प्राप्‍त नहीं होता है।

करवा चौथ का व्रत अब कई मह‍िलाएं व कन्‍याएं करने लगी हैं। ऐसे में इसके न‍ियमों को ज्ञात करना आवश्‍यक है। ऐसा न हो क‍ि आप एक ओर व्रत करें और दूसरी ओर कोई भूल इस व्रत का सारा पुण्‍य भी खत्‍म कर दे। ये व्रत सुहाग से जुड़ा है, लिहाजा इससे जुड़ी चूकों पर ध्‍यान देना आवश्‍यक है। 

भारत में अनेक त्‍योहार मनाए जाते हैं जिसमें से करवा चौथ एक है। महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। यह व्रत पति के दीर्घायु के लिए रखा जाता है। एक बात का ख्याल रहे कि महिलाए  चांद को भी अर्ध्य देने के बाद पति के हाथों से ही जल पिएं। इस प्रकार पति पत्नी के जन्म जन्मांतर तक  चलने वाले इस अमर प्रेम में यह व्रत महती भूमिका निभाता है।  करवा चौथ का शुभ मुहूर्त एंव पूजा विधि।

करवा चौथ व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त
27 अक्‍टूबर 2018, शनिवार- शाम 5.36 से 6.54 तक
27 अक्‍टूबर 2018, शनिवार- चंद्रोदय रात 8 बजे

कब खोलें व्रत
चंद्रोदय यानी चांद के दिखने का समय रात्रि 7 बजकर 55 मिनट पर होगा। चांद को अर्घ्य देकर ही व्रत खोलें।

करवा चौथ की पूजा विधि
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। सोलह श्रृंगार में माथे पर लंबी सिंदूर अवश्य हो क्योंकि यह पति की लंबी उम्र का प्रतीक है। मंगलसूत्र, मांग टीका, बिंदिया ,काजल, नथनी, कर्णफूल, मेहंदी, कंगन, लाल रंग की चुनरी, बिछिया, पायल, कमरबंद, अंगूठी, बाजूबंद और गजरा ये 16 श्रृंगार में आते हैं।

सोलह श्रृंगार में महिलाएं सज धजकर चंद्र दर्शन के शुभ मुहूर्त में चलनी से पति को देखती हैं। चंद्रमा को अर्ध्य देती हैं। चंद्रमा मन का और सुंदरता का प्रतीक है। महिलाएं चंद्रमा के समकक्ष सुंदर दिखना चाहती हैं क्योंकि आज वो अपने पति के लिए प्रेम की खूबसूरत चांद हैं। इससे पति का पत्नी के प्रति आकर्षण बढ़ता है। पति भी नए वस्त्र में सुंदर दिखने का प्रयास करता है। यह व्रत समर्पण का व्रत है। जीवात्मा महिला होती है। परमेश्वर पुरुष है। जो समर्पण एक भक्त का भगवान के प्रति होता है वैसा ही भाव आज पत्नी का पति के प्रति है।

करवा चौथ व्रत पूजा विधि
करवा चौथ व्रत पूजा विधि की बात करें तो इस व्रत में शाम को पूजा करने का विधान है। इस उपवास में भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। शाम के समय स्त्रियां एकत्र हो करवा चौथ की कथा करती है।

करवा चौथ व्रत पूजा विधि बहुत सरल है। चौथ माता की जो मूर्ति आपने स्थापित की है उसपर फूल माला, रोली-कलावा चढ़ाएं। उसके बाद माता की प्रतिमा के आगे करवा में जल भर के रखें।

उसके बाद देसी घी का दिया जलाकर चौथ माता की पूजा करें और फिर करवा चौथ व्रत कथा सुनें। इसके बाद महिलाओं को चंद्रोदय का इंतजार रहता है। क्योकि चन्द्रमा के दर्शन किए बिना न तो इस व्रत में कुछ खाया जाता है और न ही व्रत को सफल माना जाता है।

चंद्रोदय होने पर विवाहित महिलाएं चांद को छलनी में घी का दिया रखकर देखती है। इसके बाद अपने पति को देखती है और चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत खोलती है।

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